पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का कल 92 साल की उम्र में निधन हो गया। मनमोहन सिंह को गुरुवार की शाम तबीयत बिगड़ने पर दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। वहीं,दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री की बहन गोबिंद कौर को यकीन नहीं हो रहा है कि पापाजी (जैसा कि वह अपने सबसे बड़े भाई को प्यार से बुलाती थीं) अब नहीं रहे।
मनमोहन सिंह की बहनें प्रीतम कौर और गोबिंद कौर अपने परिवारों के साथ रहती हैं। जब भी वह बीमार पड़ते तो वे दोनों अपने परिवार के सदस्यों के साथ स्थानीय गुरुद्वारे में प्रार्थना करती थीं। दक्षिण कोलकाता के टॉलीगंज में अपने घर पर व्हीलचेयर पर बैठीं गोबिंद कौर की आंखें नम हैं।
गोबिंद की बहू कुलजीत कौर ने कहा, “हमें अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कि वह अब नहीं रहे। हमने कल रात अपनी सास को यह खबर नहीं बताई थी। जब से हमने उन्हें सुबह बताया, तब से वह बस यही कह रही हैं कि वह अपने भाई को आखिरी बार देखना चाहती हैं, लेकिन उनकी तबीयत ऐसी है कि वह यात्रा नहीं कर सकतीं।”
मनमोहन सिंह अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े थे
दिवंगत कांग्रेस नेता की यादें साझा करते हुए कुलजीत ने कहा कि वह अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े थे और सभी के लिए पिता समान थे। उन्होंने याद करते हुए कहा, “वह हमेशा बच्चों और उनकी पढ़ाई के बारे में पूछते रहते थे। वह कम बोलने वाले व्यक्ति थे लेकिन बहुत ख्याल रखने वाले और बहुत भावुक थे।”
पूर्व पीएम की बहन ने साझा किया किस्सा
मनमोहन सिंह से उनकी आखिरी मुलाकात पिछले साल फरवरी में उनके आवास पर हुई थी, जब उनका परिवार एक समारोह में भाग लेने के लिए आया था। कुलजीत ने बताया, “वह अस्वस्थ थे लेकिन उन्होंने हमारे साथ बैठकर चाय पी।” उन्होंने कहा, “जब वे कोलकाता आए थे तो वे हमारे फ्लैट पर आए थे। हम उनसे मिलने राजभवन भी गए थे। जब से मेरी शादी इस परिवार में हुई है, मैंने उन्हें एक पारिवारिक व्यक्ति के रूप में देखा है। इतने सालों में हमें कभी नहीं लगा कि वे इतने बड़े पद पर हैं।”
दिल्ली जाने की तैयारी कर रहे परिवार के सदस्यों ने बताया कि अर्थशास्त्री से राजनेता बने इस शख्स की सबसे बड़ी खूबी उनकी विनम्रता थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि सफलता की सीढ़ियां चढ़ने के बाद भी वह जमीन से जुड़े रहे और उन्होंने कभी भी अपनी सफलता को अपने सिर पर हावी नहीं होने दिया।